आयुष्य सन्देश
(दैनिक प्रेरणा – आयुष्य मंदिरम् से)
“न आत्मनस्तु प्रियं बन्धुं न चापि शत्रुमात्मनः।
आत्मनैव हि सन्तुष्टो योगी योगायतनं सुखम्॥”
भावार्थ: आत्मा ही अपना मित्र है, और वही शत्रु भी। जो योगी आत्मानुशासन द्वारा आत्मसुख प्राप्त करता है, वही प्रकृति के अनुकूल जीवन जी सकता है।
प्राकृतिक चिकित्सा सिद्धांत:
“प्रकृति स्वयं ही चिकित्सक है।”
- वायु – प्राणायाम, सुबह-शाम सैर
- जल – एनीमा, स्नान
- प्रकाश – सूर्य स्नान, धूप
- मिट्टी – मिट्टी पट्टी
- उपवास – आत्मिक शुद्धि
- आसन/ध्यान – शरीर और मन का संतुलन
जीवन सूत्र: मैं अपने शरीर की आत्मा की भीतर देखी सीमाओं से ही प्राकृतिक चिकित्सा की शक्ति को अनुभव करता हूँ।
छोटा-सा संकल्प: मैं रोज़ प्रकृति के पांच तत्वों (वायु, जल, पृथ्वी, प्रकाश, आकाश) से जुड़ूगा।
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निरोगी हेडलाइन्स
आज शहर में कार्यक्रम
- योग शिविर – सुबह 6:00, रामलीला मैदान
- आयुर्वेद व्याख्यान – दोपहर 1:00, हेल्थ सेंटर
आज की रेसिपी
हल्दी दूध: गर्म दूध में हल्दी और शहद मिलाकर पिएं।
स्वास्थ्य क्लासीफाइड
- योग शिक्षक: घर पर योग क्लासेस उपलब्ध
- प्राकृतिक उत्पाद: पंचगव्य आधारित आयुर्वेदिक किट
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